Saturday, March 26, 2016

सोचना पड़ेगा

हमें  सोचना पड़ेगा.
कब तक होता है, चलता है, ऐसे ही है, कह कर चुप रहेंगे.
पडोसी के घर भगत सिंह के पैदा होने का इंतज़ार करेंगे.
और खुद गांधी के कलयुगी बन्दर बने  रहेंगे.
वो बन्दर, जो अधर्म/अन्याय देख कर अँधा हो जाता है
सच बोलने से डरता हुआ गूंगा हो जाता  है,
और बुरा सुन कर , उस के खिलाफ बोलने के बजाए बहरा हो जाने का नाटक करता है.
आँखें खोली, जरूरी नही, हर बार और ही सहेंगे.
कभी न कभी आप की भी बारी आएगी
आज  आप चुप हैं, तब और चुप होंगे.

Tuesday, January 19, 2016

रोहित - सवाल सरकारी सोच के विरोध के उत्पीडन का है - हम उसे जाति में क्यों बाँट रहे है

रोहित एक विद्यार्थी था एक गरीब घर का विद्यार्थी जो अपनी योग्यता के बल पर इस जगह तक पहुंचा
वो जिस संस्था के साथ था, उस संस्था ने 'मुज्ज़फर नगर बाकी  है " की स्क्रीनिंग का समर्थ किया,
जिसे भाजपा समर्थित, ABVP ने विरोध किया
रोहित और उसकी संस्था ने  याकूब मेनन की फांसी का विरोध किया
शांतिपूर्ण विरोध करना हर इंसान का अधिकार है
और एक केन्द्रीय मंत्री इस विरोध को देश विरोधी करार देता है
सरकारी हस्तक्षेप इस हद तक बढ़ जाता है , कि रोहित और उसके साथियों को होस्टल एवं मेस से निकल दिया जाता है
तीन महीने के बाद, रोहित हरा दिया जाता है
और वो अपनी जिंदगी ख़तम कर लेता है
और अब, हमारे नेता इस बात को दलित और सवर्ण में बाँट देना चाहते है
सवाल होना चाहिए, कि क्या किसी को अपनी बात शांतिपूर्ण रखने का हक़ नहीं है
अगर कोई, सरकारी विचारधारा का विरोध रखे तो क्या वो देशद्रोही हो जायेगा
बड़ा सवाल यही है ,
रोहित का उत्पीडन, उसकी सोच की हत्या है और इसका उसकी जाति से कोई लेना देना नही है

Sunday, January 17, 2016

स्त्री, स्याही, आप और शौर शराबा

पंजाब के चुनाव एक साल दूर हैं अभी
और स्याही काल शुरू हो गया है 
जैसे ही आप कहीं भी चुनाव लड़ने वाली होती है 
उस के नेता पर स्याही फेंकना शुरू हो जाता है 
भारत के इतिहास में ऐसे एक पार्टी विशेष प्रेम कम ही देखने को मिलता है 
जब स्याही कुछ वर्षों के लिए एक पार्टी विशेष व्यक्ति पर ही गिरती है 
वैसे ना तो आप का इतना अधिक विरोध दिल्ली में दिखाई देता है 
और पंजाब में, कोंग्रेस एवं अकाली दल के सिवाए आप एक मजबूत मोर्चा दिखाई देती है
कम से कम ज़मीन पर भीड़ तो इसकी तस्दीक करती है 
चलिए, अपने मूल सवाल पर वापिस आते है 
लगभग डेढ़ साल पहले, AVAM की बहुत चर्चा थी
मीडिया ये फ़ैलाने में मशगूल था, कि ये लोग 'आप' से टूटा हुआ एक धडा है 
जो पार्टी में लोकतंत्र के लिए लड़ रहा है 
चुनाव के बाद AVAM हवा में घुल गया 
पिछले फरवरी में आप दिल्ली में सत्ता में आई, और अवाम की उसके बाद कोई खबर ही नहीं है
सम्भवतः उसकी उपयोगिता चुनाव तक ही थी. 
अब वही तमाशा पंजाब में दोहराया जा रहा है 
आम आदमी सेना नाम का एक धडा बताया जा रहा है 
देवी जी, को उसी का नेता बताया जा रहा है
वैसे देवी जी, पंजाब की नेता है
और दिल्ली की रहने वाली है, 
और उस पर तुर्रा ये, कि वो CNG घोटाले से सम्बंधित कुछ बताना चाहती है
समझ में नही आया, इस का पंजाब से क्या लेना देना है 
एक न्यूज़ पोर्टल के अनुसार, देवी जी पंजाब से चार्टर प्लेन से दिल्ली आई थी 
इस बात की पूरी सम्भावना है, कि कोई भी इस बात पर कोई रिपोर्टिंग नहीं करेगा 
कि देवी जी कैसे आई, किस ने इन के आने जाने का खर्चा दिया, 
अगर कोई घोटाले की CD भी है, तो मैडम को किस ने दी 
वैसे घोटाला है भी, तो अरविन्द पर स्याही फेंकने से तो कुछ नही होंगा
ACB अध्यक्ष मीणा/दिल्ली पुलिस अध्यक्ष बस्सी उपराज्यपाल (केंद्र) को रिपोर्ट देते है 
तो फिर अरविन्द चाह कर भी कुछ नही कर सकते 
और वैसे भी , अगर आरोप ही अरविन्द पर है, तो फिर उसे CD देने से फायदा क्या 
प्रथम दृष्टया, देवी जी का उद्देश्य संदेह के घेरे में हैं 
देखना दिलचस्प होगा, कि पंजाब चुनाव के वाद आम आदमी सेना कहाँ होगी 
या फिर ये सिर्फ 'आप' को बदनाम करने की कारवाई साबित होगी 
भूतकाल तो ऐसे ही है
भविष्य हम कह नहीं सकते 

Tuesday, September 22, 2015

आने वाले कल के बारे में सोचिएगा

पिछले पन्द्रह महीने में होने वाली घटनाओं पर नज़र डालें
लगता है भारत आज उसी स्थिति में पहुंच रहा है
जिस स्थिति में पाकिस्तान जनरल ज़िया-उल-हक़ के सत्ता पलट के समय में था
पाकिस्तान का इतिहास दोबारा लिखा जाने लगा
उस इतिहास में से गुरु नानक, मंगल पांडे, रानी लक्ष्मी बाई, सीमान्त गाँधी (खान अब्दुल गफ्फार खान ) एवं मौलाना अबुल कलाम आज़ाद पाकिस्तान इतिहास से ही गायब हो गये
पाकिस्तान को रौंदने वाले महमूद गज़नवी एवं अब्दुल बिन कासिम को हीरो बना कर पेश किया गया
अरबों को अपना पूर्वज बताया गया
पीछे 40-45 साल में पाकिस्तान कहाँ पहुंच गया हम सब जानते हैं
आज भारत भी वही करने की कोशिश करने जा रहा है
प्रधानमन्त्री जी AIIMS में डॉक्टरों को बताते हैं, कि गणेश जी की सूंड किसी प्लास्टिक सर्जन ने लगाई होगी
किताबों में ये पढ़ाने की ये कोशिश हो रही है, कि कथित तौर पर हमारा भूतकाल कितना स्वर्णिम था
घुट्टी पिलाई जा रही है, कि हम अति उच्च थे
कोई नहीं बताता, कि पुष्पक विमान कौन से अँगरेज़ उठा के ले गये
महाभारत काल की ब्रहमास्त्र रुपी मिसाइल कौन लोग उठा ले गये
ये सब लोगों को मूर्ख बनाने से बढ़ कर कुछ भी नही है
कोई ये नही बताता कि डेढ़ सौ साल पहले तक औरतें सती होती रही है
कोई इस बात पर कुछ नही बोलता किस तरह समाज जातिओं में बंटा हुआ था
आज भी गाँवों में जातिओं के आधार पर टोले होते है
जो भी तथ्यात्मक बात रखता है, इन तथाकथित धर्म के ठेकेदारों को नागवार गुजरता है
क्योंकि इन सब लोगों की दुकानदारी उसी दिन बंद हो जाएगी , जिस दिन लोग तर्क से बात करेंगे
सोचना आप लोगों को है, कि आप चाहते क्या हैं
भूतकाल से कथित स्वर्णिम काल की घुट्टी पीना चाहते हैं,
या तर्क से आज और आने वाला कल संवारना चाहते है 

Wednesday, June 4, 2014

क्या कुछ भी कहना अपराध है...

मैं एक हिन्दू हूं , और मुझे इस के लिए गर्व होना चाहिए...
लेकिन क्या यही गर्व मुझे किसी और की ज़िन्दगी लेने का अधिकार देता हैं...
सभी को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का अधिकार है...
अगर आपको उनकी बात अच्छी नहीं लगती.. आप अपनी भावनाएं व्यक्त करें..
शब्द संयमित और उत्तेजक नहीं होने चाहिए..
महाराष्ट्र में.. एक नवयुवक को पीट पीट कर मार डाला गया...
उसका अपराध : एक सोशल साईट पर , कथित तौर पर शिवाजी महाराज एवं बाला साहब ठाकरे की आपत्तिजनक तस्वीरे /कमेन्ट
मैंने तस्वीरें नहीं देखीं , तो मैं इस स्थिति में नहीं हूँ.. कि कह सकूं की तस्वीरें आपत्तिजनक थी या नहीं..
क्या ऐसे कोई साधन नहीं है, जो देख सके कि जो उसने किया वो वास्तव में अपराध था भी या नहीं...
कानून का राग अलापने वाले कहाँ है?
कुछ दिन पहले सोशल साइट्स पर ही, शिवाजी महाराज की तस्वीर पर हमारे प्रधानमंत्री जी की तस्वीर चस्पा कर दी गई थी...
क्या ये तस्वीर आपत्तिजनक नहीं थी ?
हमें अपने आप से पूछना पड़ेगा...
क्या समाज में ऐसा व्यवहार स्वीकार्य हैं?
क्या हम इतने असहिष्णु हो गए हैं...
क्या किसी को सिर्फ अपना मत व्यक्त कर देने के लिए जान से मार देना चाहिए..
ये अच्छी परम्परा नहीं है..

निष्पक्ष पक्षधर

इसे भारत  का दुर्भाग्य ही कहेंगे...
हमारे अधिकांश पत्रकार एवं निष्पक्षता के साथ पक्षधर हो गए मालूम होते हैं...
किसी भी घटना को निष्पक्षता से देखने का समय मानो अब चुक गया है...
किसी एक पार्टी के किये सारे काम अधर्म और नाटक लगने लगते हैं, और दूसरी पार्टी मानो  स्वर्ग से अवतरित हो और उनके सब के सब काम धर्म बताये जाते हैं..

जब एक घटना किसी एक पार्टी से सम्बन्धित होती है...
तो सब के सब आक्रामक नज़र आते है...
लगने लगता हैं, मानो सब के सब कानून के जानकार इन टीवी स्टूडियो में डेरा डाल बैठे होते हैं.
बार बार लगातार , लोगों को दिखाया जाता है
नैतिकता के पाठ पढाये जाते हैं...
समझाया जाता है, कि कैसे क़ानून का उल्लंघन हो रहा है..
कैसे एक पार्टी विशेष, और एक व्यक्ति विशेष अपने आप को कानून से ऊपर समझता है...
उस पर तुर्रा ये, कि हमारा गृह विभाग एवं पुलिस भी अति सक्रिय हो जाती है...
किसी भी तरह के विरोध को रोकने के लिए धारा एक सो चवालीस लगा दी जाती है...
हमारा समाज और पत्रकार मित्र इस तरह घटना को देखते हैं, मानो भारत में आदर्श स्थिति है

कुछ दिन बीतते हैं
घटना वही रहती है, लेकिन पात्र बदल जाते हैं...
लेकिन रहस्यमयी ढंग से सब तरफ एक चुप्पी छा जाती है..
आक्रामकता सहनशीलता में बदल जाती है..
क़ानून के जानकार मानो कहीं दूर छुट्टी पर चले जाते हैं...
बुद्धू बक्सा नए पत्रों को मानो देख ही नहीं पाता है..
नैतिकता , अब व्यवहारिकता का स्थान ले लेती है...
गृह विभाग और पुलिस भी मानो अब विरोध को अच्छा मान लेने लगती है..
अब के बार समाज इसे व्यवहारिकता मान लेता है...

एक ही तरह की घटना के लिए तो तरह की प्रतिक्रिया होती है...
क्या इतना सब देखने के बाद भी ये कहना चाहिए कि जो सब हम देखते है, वो वास्तव में निष्पक्ष सत्य है...
मुझे तो ऐसे नहीं लगता, आप को क्या लगता है अपने विचार ज़रूर कहें..
अच्छा होगा, अपनी भाषा संयमित रखें...

Sunday, May 11, 2014

बनारस: राजनैतिक सत्य- भाजपा के पुराने काम और नए सपने

बनारस, वाराणसी या फिर काशी...
नाम अनेक हैं.. शहर एक है...
आजकल बहुत चर्चा में हैं...
चुनाव होने को हैं...
और शहर नेताओं के नाम पर बंट चुका हैं..
वही लोग जो ऊपर से गंगा जमनी तहज़ीब की दुहाई देते हैं...
अंदरखाते वही लोग इसे तोड़ने की , और वोटों के ध्रुवीकर्ण के लिए काम करते हैं..
खैर ये तो सभी पार्टिओं की बात हुई...
पिछले पन्द्रह साल से बनारस नगर निगम पर  भाजपा काबिज़ है..
पिछले दस साल से मुरली मनोहर जोशी सांसद हैं....
अगर भाजपा इतनी विकाशील है, तो भाई अब तक तो काशी स्वर्ग बन जाना चाहिए...
सच्चाई इस के एकदम विपरीत है
काशी उत्तर प्रदेश के अन्य स्थानों से बिलकुल अलग नहीं है.
गंगा की सफाई आज भी बड़ा मुद्दा है...
सीवरेज व्यवस्था बदहाल है..
शहर का विकास का मुद्दा ठन्डे बसते में हैं..
सड़कों का बुरा हाल है...
जो भाजपा इतने वर्षों में कुछ नहीं कर सकी..
अब वो गुजरात के विकास का मॉडल बेच रहे हैं..
कह रहे हैं की नरेंद्र मोदी को चुन कर प्रधानमंत्री बनाये
और वाराणसी स्वर्ग बन जायेगा...
इस सवाल का जवाब कहाँ पर है,
की आप लोग पन्द्रह साल से सत्ता में हैं,
अब तक आप लोगों ने क्या किया...
हैरानी इस बात की है,
की जो मीडिया दिल्ली सरकार के 49 दिन के कामों का पोस्ट-मोर्टम कर रहे थें
भाजपाई 15 सालों के कार्यकाल पर चुप हैं...
अभी ये भी देखने की बात हैं, क्या ज़मीनी स्तर लोग क्या सोचते हैं.
क्या जो मीडिया दिखा रहा है, लोग भी यही सोच रहे हैं..
या फिर वास्तविकता इस से अलग है....
जो भी जीते, वो काशी के लिए काम करे..
सभी प्रत्यशियो को शुभ कामनाएँ 

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